वो बातें जो कही गयीं उनका मतलब एक-सा ही था
फिर भी उनके और हमारे हकीकत में ये फर्क क्यूँ है
हमको उनसे, उनको हमसे इश्क था बराबर-बराबर
मगर दोनों के अंजाम -ए- मोहब्बत में ये फर्क क्यूँ है
बातों से दिल जीत लेने का तो उनका हुनर निराला है
मगर उनकी करतूतों की असलियत में ये फर्क क्यूँ है
हर किसी को तलाश है जिंदगी में थोड़े-से सुकून की
फिर भी सबकी तलाश की फितरत में ये फर्क क्यूँ है
ये फूल,ये फल,ये हवा और ये नदी तो थी सबके लिए
मगर न जाने सभी लोगों की हालत में ये फर्क क्यूँ है !